यह दिल किसने बनाया
बनाया तो क्या सोचके !
आजाता है किसीपर
बिना किसीसे पूछके !
हस्था है कभी तो कभी यह रुलाता है
और तो कभी यह सोच में पड़ जाता है !
इस दिल की घेहराइयों को न समझा है कभी और न समझेंगे भी कभी !
पर सच तो यह है की यह यूँही नहीं आता किसीपर कभी !
आही गया दिल तो कुछ भी करने को हो जाता है राज़ी
लेकिन इस दरमियान में कभी वो हार जाता है बाज़ी !
दिल तो दिल है मानेगा नहीं
और यह तो सुदरेगा नहीं
जब तक है जान इसे दडकने दो यूँही !
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